जल, थल, नभ में शीर्ष पर है मध्यप्रदेश

 भोपाल

वन मंत्री  उमंग सिंघार ने अन्तर्राष्ट्रीय वन्य-प्राणी दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है।  सिंघार ने कहा कि यह गौरव की बात है कि प्रदेश के बाघ, तेन्दुआ, गिद्ध, घड़ियाल, बारासिंघा आदि अनेक प्राणियों की संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में सर्वाधिक 526 बाघ, 1800 से अधिक तेन्दुआ, साढ़े 8 हजार गिद्ध और 1800 से अधिक घड़ियाल हैं। वन मंत्री ने कहा कि यह कामयाबी एक दिन का प्रयास नहीं बल्कि विभाग द्वारा किये जाने वाले सतत परिश्रम का परिणाम है।


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मंत्री  सिंघार ने कहा कि अखिल भारतीय बाघ आंकलन में मध्यप्रदेश 526 बाघों के साथ देश में पहले स्थान पर है। यही नहीं, तीन टाइगर रिजर्व पेंच, कान्हा और सतपुड़ा देश में प्रबंधकीय दक्षता में प्रथम तीन स्थान पर हैं। प्रदेश का टाइगर स्ट्राइक फोर्स भी लगातार राष्ट्रीय और अन्तर्राष्टीय स्तर के वन्य-प्राणी अपराधियों पर शिकंजा कस रहा है। तेन्दुआ की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। बारासिंघा की संख्या भी 66 से बढ़कर 800 के करीब पहुँच गई है।

सम्पूर्ण विश्व में 99 प्रतिशत गिद्धों की समाप्ति से यह प्रजाति अति संकट में आ गई है। गिद्ध प्रकृति के सफाई कामगार हैं, जो सड़ा-गला माँस आदि मिनटों में चट कर पृथ्वी को महामारी से बचाते हैं। वन विभाग के प्रयासों से आज प्रदेश में 33 जिलों में लगभग साढ़े 8 हजार गिद्ध हैं। भोपाल के केरवा में गिद्ध प्रजजन केन्द्र बनाया जाकर इस विलुप्त होते प्राणी की संख्या बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में लगभग 500 प्रजाति के पक्षी पाये जाते हैं। इन पक्षियों की सुरक्षा के मद्देनजर भी वन विभाग पूरी ऐहतियात बरतता है।

विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके घड़ियालों की पुनर्वापसी में भी प्रदेश के वन विभाग ने सराहनीय प्रयास किये हैं। चम्बल सेंक्चुरी में आज 1800 से अधिक घड़ियाल हैं, जो देश में अन्य स्थानों की गणना से काफी आगे हैं। सोन नदी और केन नदी में घड़ियालों को वैज्ञानिक तरीके से पोषण कर हर साल तकरीबन 200 घड़ियाल चम्बल नदी में छोड़े जा रहे हैं। मुरैना जिले के देवरी में ईको सेन्टर बनाया गया है, जहाँ पर घड़ियाल के अण्डे लाकर सेते जाते हैं। अण्डों में से निकले घड़ियाल जब 3 साल के हो जाते हैं, तो उन्हें चम्बल नदी में छोड़ दिया जाता है। विश्व में केवल भारत, नेपाल और बंगलादेश में ये घड़ियाल पाये जाते हैं।

वन मंत्री  उमंग सिंघार ने बताया कि प्रदेश में वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र 10 हजार 998 वर्ग किलोमीटर से अधिक है। यहाँ 10 राष्ट्रीय उद्यान और 25 वन्य-प्राणी अभयारण्य है। कान्हा, बाँधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा और संजय राष्ट्रीय उद्यान तथा इनके निकटवर्ती 6 अभयारण्यों को समाहित कर 6 टाइगर रिजर्व बनाये गये हैं। डिण्डोरी जिले के घुघवा फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान में 6 करोड़ वर्ष तक पुराने जीवाश्म संरक्षित किये गये हैं। धार जिले में डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान है। मुकुंदपुर (सतना) में सफेद टाइगर सफारी है। मगर, डालफिन, गौर, काला हिरण आदि भी प्रदेश की पहचान हैं।

Noman Khan
Author: Noman Khan

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