बीजेपी ने तोड़फोड़ से किया इंकार, लेकिन प्रदेश के नेताओं की सक्रियता बरकरार

 नई दिल्ली  
मध्यप्रदेश में भाजपा ने दूसरी बार कांग्रेस के खेमे में घुसकर साफ कर दिया है कि कांग्रेस के अंतर्कलह में उसके कई विधायक पाला बदल सकते हैं। राज्यसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस के भीतर की रस्साकसी का भाजपा भले ही लाभ नहीं उठा पाई हो, लेकिन उसके अंदरूनी मतभेदों से भविष्य का संकट टला नहीं है। भाजपा ने इसे कांग्रेस तोड़ने की कोशिश से इंकार किया है। हालांकि उसके प्रदेश के नेताओं का सक्रियता से जाहिर है कि यह दांव असफल रहा है।

बीते दो दिनों में यह साफ हो गया है कि राज्य में अगर भाजपा की सरकार बनने के आसार बने तो सपा, बसपा व निर्दलीय विधायक उसके साथ आ सकते है। इससे कांग्रेस की सरकार की चिंताएं बढ़नी स्वाभाविक है।

फिलहाल कांग्रेस सरकार इन विधायकों के समर्थन पर ही टिकी है। ऐसे में राज्य में दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव अहम होंगे और तय करेंगे कि भविष्य में किसका पलड़ा भारी होगा। इस बार कांग्रेस व अन्य दलों के जो विधायक भाजपा नेताओं के संपर्क में रहे वह अधिकांश ग्वालियर चंबल संभाग के हैं। गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग के नतीजे भाजपा के खिलाफ व कांग्रेस के पक्ष में जाने से ही सत्ता समीकरण बदले थे।
 
कांग्रेस को भारी पड़ सकता है असंतोष
सूत्रों के अनुसार, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व फिलहाल ऐसे किसी ऑपरेशन के पक्ष में नहीं है, जिसमें वह आगे बढ़कर सरकार गिराने की कोशिश करता दिखे। पार्टी का मानना है कि कांग्रेस के अंतर्विरोध इतने ज्यादा है कि सरकार कब तक चलेगी, कह नहीं सकते हैं। हालांकि, उसके प्रदेश के नेता कांग्रेस के भीतर के टकराव को देखते हुए कुछ न कुछ ऑपरेशन चलाते रहते हैं, जिससे कांग्रेस की कमजोरी उजागर हो रही है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस का यह असंतोष और बढ़ेगा और सरकार के लिए भारी पड़ेगा। 

Noman Khan
Author: Noman Khan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

What does "money" mean to you?
  • Add your answer
[adsforwp id="60"]
error: Content is protected !!