नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर में उप राज्यपाल (एलजी) जीसी मुर्मू के सलाहकार फारूख खान ने कहा है कि प्रशासन का पहला लक्ष्य कश्मीरी पंडितों को फिर से स्थापित करना है, जिन्हें बंदूक की धमकी के चलते कश्मीर छोड़ना पड़ा था। उन्होंने कहा कि हम में से बहुत कम लोग जानते हैं कि कश्मीर 100 प्रतिशत हिंदू राज्य था, जो लोग वहां जाते हैं उन्हें कश्मीर संग्रहालय में जाना चाहिए और देखना चाहिए कि वहां क्या है, जो आपको प्राचीन कश्मीर के इतिहास की स्पष्ट तस्वीर दिखाता है।
इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव 2020 में बोलते हुए खान ने कहा कि हमारे लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण लक्ष्य यह है कि हमारे सभी कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों को बंदूक की धमकी के तहत राज्य छोड़ना पड़ा। हम उन्हें पूरे सम्मान के साथ वापस लेकर आएंगे और वह बिना किसी डर और खतरे के कश्मीर में खुशहाल जीवन जी सकेंगे।
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वहीं जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने शनिवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने किये जाने से नौकरियों और जमीन से संबंधित कोई नुकसान नहीं होगा। मुर्मू ने कठुआ जिले में शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज्य संस्थाओं के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति से नौकरीयों और जमीन से संबंधित कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि दूरदराज के और सीमावर्ती क्षेत्रों के हर घर तक पानी, बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
इस बीच महिला सरपंचों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी उपराज्यपाल से मुलाकात की और अपने क्षेत्रों के मुद्दों से उन्हें अवगत कराया। मुर्मू ने 74वें संवैधानिक संशोधन के क्रियान्वयन को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि यह केवल स्थानीय स्तर पर ही शासन को मबजूत नहीं करेगा बल्कि विकास कायोर्ं को भी गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की भागीदारी और सहयोग से ही स्थानीय स्तर पर शासन को मजबूत किया जा सकता है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को पिछले वर्ष पांच अगस्त को समाप्त कर दिया था।
