नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने फरवरी 2011 में छत्तीसगढ़ के रतनपुर कस्बे में तीन मासूम भाई-बहनों का अपहरण कर उनकी हत्या कर देने के दोषी की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी. न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा कि न्यायालय का मत है कि दोषी ने अपराध मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान होकर किया और मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के मुताबिक मौत की सजा वांछित नहीं है, इसलिए इसे उम्रकैद में तब्दील किया जाता है.
पीठ ने कहा, 'निचली अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत हत्या और अपहरण का दोषी करार दिया और उच्च न्यायालय ने इसकी पुष्टि की. हालांकि निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा और उच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई इस सजा को उम्रकैद में बदला जाता है.'

अदालत ने कहा कि मारे गए बच्चों के चाचा के साथ अपनी पत्नी के चले जाने से दोषी मानसिक रूप से परेशान था और मां की अनुपस्थिति में उसके बच्चों पर असर हो रहा था. पुलिस की जांच के मुताबिक दोषी मनोज सूर्यवंशी ने 11 फरवरी 2011 को अपने पड़ोसी शिवलाल धीवर के बच्चों विजय (आठ साल), अजय (छह साल) और साक्षी (चार साल) का स्कूल से आते समय अपहरण किया और नजदीक के खेते में ले जाकर पत्थर से वार कर उनकी हत्या कर दी. उसे अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया था.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक सूर्यवंशी ने इस अपराध को अंजाम शिवलाल के भाई शिवनाथ से बदला लेने के लिए दिया जिसके साथ उसकी पत्नी चली गई थी.
