अफगान राष्ट्रपति ने तालिबानी बंदियों की रिहाई से किया मना, 24 घंटे की अंदर ही शांति समझौते में रोड़ा

 काबुल 
अफगान तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता होने के 24 घंटे के अंदर ही इसके रास्ते की बाधाएं सामने आने लगी हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार (1 मार्च) को साफ शब्दों में कहा कि समझौते में शामिल तालिबान बंदियों की रिहाई के प्रावधान को लागू करने पर वह कोई प्रतिबद्धता नहीं जता सकते।

अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार (29 फरवरी) को कतर के दोहा में समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसमें तय हुआ है कि अगले 14 महीनों में विदेशी सेनाएं अफगानिस्तान छोड़ देंगी। इसकी शर्त यह भी है कि तालिबान अफगान भूमि का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देंगे और अफगानिस्तान में व्यापक व स्थायी शांति के लिए अफगान सरकार के साथ वार्ता में शामिल होंगे।

गनी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हिंसा में कमी के समझौते के बिंदु पर अमल जारी रखा जाएगा जिसका लक्ष्य पूर्ण युद्धविराम है। जनरल (स्कॉट) मिलर (अफगानिस्तान में विदेशी सेना के प्रभारी अमेरिकी कमांडर) ने कहा है कि तालिबान ऐसा करेंगे। इसकी उम्मीद है।” लेकिन, समझौते की राह की बाधाओं की ओर संकेत करते हुए गनी ने समझौते के इस प्रावधान पर अपनी प्रतिबद्धता नहीं जताई कि तालिबान अपने कब्जे से एक हजार बंदी छोड़ेंगे और अफगान सरकार पांच हजार तालिबान कैदियों को रिहा करेगी।
 

गनी ने कहा, “पांच हजार बंदियों को रिहा करने के बारे में (हमारी) कोई प्रतिबद्धता नहीं है। यह अफगानिस्तान के लोगों का अधिकार और उनकी खुद की इच्छा पर निर्भर है। यह मुद्दा अफगानिस्तानियों के  बीच होने वाली बातचीत के एजेंडे का हिस्सा हो सकता है लेकिन इस बातचीत की पूर्व शर्त नहीं।”

उन्होंने कहा, “किसी भी बंदी की रिहाई का अधिकार अफगान सरकार के पास है, ना कि अमेरिका के पास।” गनी राष्ट्रपति पद के चुनाव में फिर से निर्वाचित हुए हैं लेकिन इस चुनाव पर कई तरह के प्रश्न उठे हैं। नतीजा यह हुआ है कि गनी नए कार्यकाल के लिए अभी शपथ नहीं ले सके हैं। अमेरिका ने भी अभी तक गनी के पुनर्निर्वाचन को मान्यता नहीं दी है।

Noman Khan
Author: Noman Khan

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