भागलपुर
अब घर की छतों पर आप सिर्फ सब्जी ही नहीं उगा सकते, बल्कि मछली पालन भी कर सकते हैं। मत्स्य विभाग की इस योजना से जिले के इच्छुक लोगों को जोड़ने की कवायद हो रही है। बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन की इस योजना के लिए शुरुआती दौर में मछली पालकों को कुछ यूनिट के लिए अनुदान देने का भी प्रावधान है। अगर योजना लोकप्रिय हुई तो इसे भविष्य में और विस्तार दिया जा सकता है।
जिला मत्स्य पदाधिकारी संजय कुमार किस्कू ने बताया कि इस प्लांट को लगाने के लिए घर की छत का इस्तेमाल होगा, लेकिन छत को कोई नुकसान नहीं होगा। मछली पालन के लिए प्लास्टिक पांड बनाया जाएगा, जो एक फ्रेम पर टिका रहेगा। मछली खाने वाले भी इस योजना के तहत छोटे स्तर पर मछली उत्पादन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि छोटी यूनिट पर 8.5 लाख रुपये का खर्च और बड़ी यूनिट पर 13 लाख रुपये खर्च आएगा। इस पर 50 और 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। इस व्यवस्था के तहत छह माह के अंदर मछली तैयार हो जाएगा।
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इसके लिए बीज की आपूर्ति बाहर से करायी जाएगी। जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत सीलन मछली, कबैय, कैट फिश की प्रजाति जैसे मंगुरी, सिंघी आदि मछलियों का पालन हो सकता है। मछलियों के लिए भोजन भी बाजार से उपलब्ध हो सकता है। उन्होंने बताया कि जो मछलियां इसमें पाली जा सकती हैं, उसकी वृद्धि दर अधिक है। फिलहाल जो योजना आयी है, वह चार यूनिट जेनरल कैटेगरी के लोगों के लिए है। इसके अलावा ईबीसी और एससी/एसटी कैटोगरी के लिए भी अनुदान उपलब्ध है। अनुदान के लिए अभी इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन लिए जा रहे हैं। जल्द ही लाभुकों का चयन कर लिया जाएगा।
विभाग को और यूनिट पर अनुदान देना चाहिए
बायोफ्लॉक विधि से बिना सरकारी मदद के लिए मछली पालन की तैयारी कर रहे शहर के डॉ. देवज्योति मुखर्जी बताते हैं कि यह जितनी अच्छी योजना है, उसके अनुरूप सरकारी यूनिट नहीं मिल रही है। छह- सात यूनिट के लिए ही सरकार अनुदान दे रही है, जबकि आवेदकों की संख्या काफी अधिक हो सकती है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने इस योजना के लिए अपने स्तर से परिचर्चा कार्यक्रम में भी आयोजित किया था। इसमें भागलपुर ही नहीं, आसपास के जिले के लोगों को भी बुलाया गया था। मुखर्जी कहते हैं कि बायोफ्लॉक मछली उत्पादन बिहार-झारखण्ड के इकॉनामी को एक नयी दिशा दे सकता है। जरूरत है इसे बढ़ावा देने की। इसे लोग अपनी उपजीविका के रूप में भी चुन सकते हैं।
