बड़ी खबर – झाबुआ जिले के लिए गौरव का क्षण, झाबुआ की सांस्कृतिक एवं पारंपरिक कलाओं को संरक्षित तथा संवर्धित करने वाले रमेश परमार एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शांति परमार का पद्मश्री-2023 सम्मान के लिए हुआ चयन, दिल्ली से चयन की प्राप्त हुई सूचना, शारदा समूह एवं समस्त स्नेहीजनों ने शुभकामनाएं प्रेषित की

बड़ी खबर – झाबुआ जिले के लिए गौरव का क्षण, झाबुआ की सांस्कृतिक एवं पारंपरिक कलाओं को संरक्षित तथा संवर्धित करने वाले रमेश परमार एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शांति परमार का पद्मश्री-2023 सम्मान के लिए हुआ चयन, दिल्ली से चयन की प्राप्त हुई सूचना, शारदा समूह एवं समस्त स्नेहीजनों ने शुभकामनाएं प्रेषित की झाबुआ। आदिवासी बाहुल्य जिले की संस्कृति एवं परंपराओं को संरक्षित एवं संवर्धन करने का कार्य वर्षों से करते आ रहे रमेश परमार एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शांति परमार का देश की राजधानी दिल्ली से पद्मश्री-2023 सम्मान के लिए चयन हुआ है, यह जिले के लिए अत्यंत ही गौरव का विषय है कि जिले की संस्कृति और परंपराओं के दृष्टिगत परमार दंपति का चयन पद्मश्री जैसे बड़े अवार्ड के लिए हुआ है। परमार दंपत्ति की इस उपलब्धि पर शारदा समूह एवं समस्त स्नेहीजनों ने शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए हर्ष व्यक्त किया है। जानकारी देते हुए शारदा समूह के संचालक ओम शर्मा एवं श्रीमती किरण शर्मा ने बताया कि रमेश परमार एवं श्रीमती शांति परमार को पद्मश्री सम्मान मिलने की घोषणा सभी को गौरवान्वित करने वाली है। परमार दंपत्ति के लिए “श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर। श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रागटै नीर” कहावत उनके जीवन में संघर्षों और कड़ी मेहनत के क्षेत्र में सार्थक सिद्ध होती है। सफलता के लिए कठिन परिश्रम तो करना अनिवार्य है, किंतु परिश्रम के साथ एक ओर गुण है जिसके होने से ही परिश्रम सार्थक हो पाता है, वह गुण है धैर्य। इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए श्री रमेश परमार एवं श्रीमती शांति परमार ने अपना जीवन यापन किया और कला के क्षेत्र में प्रदेश हीं नहीं अपितु पूरे देश में झाबुआ का नाम रोशन किया है। पिछले 30 वर्षों से सतत् साधना करने वाले इस दंपत्ति का नाम पद्मश्री-2023 की सूची में नाम आना झाबुआ के लिए गौरव का विषय है।
सरल व्यक्तित्व एवं सतत् क्रियाशील है परमार दंपत्ति – परमार दंपत्ति की सतत् साधना और साधारण व्यक्तित्व का उदाहरण है कि पद्मश्री सम्मान की घोषणा से एक दिन पूर्व यानी 25 जनवरी तक वे केशव विद्यापीठ, हाऊसिंग बोर्ड झाबुआ के विद्यार्थियों को रामसेतु के पत्थर, शिलाएं बनाना सीखा रहे थे तथा उनकी धर्मपत्नि घर पर गुड़ियाओं का निर्माण कर रहीं थी। उन्हें दिल्ली से सूचना मिलने के बाद भी वे दोनो अपने कार्य में सतत् लगे रहे। झाबुआ जिले की सांस्कृतिक एवं पारंपरिक कला को संरक्षित और संवर्धित करने वाले परमार दंपत्ति को पद्मश्री-2023 के लिए चयन होने पर समस्त जिलेवासियों की ओर से असीम शुभकामनाएं प्रेषित की गई है और उनका हौंसला अफजाई किया है। फोटो – श्रीमती शांति परमार अपने निवास पर आदिवासी गुड़िया एवं अन्य कलाकृतियां निर्मित करते हुए। फोटो – श्रीमती परमार समूह में प्रशिक्षण देते हुए। फोटो – कला के क्षेत्र में ही उत्कृष्ट कार्यों के कारण पिछले दिनों भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के समारोह में रमेश परमार हुए सम्मानित।

Noman Khan
Author: Noman Khan

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